एक बंदा पेट भर खा के भी पतला हो गया? ये कोई जादू नहीं, सच है!

देखो, वजन घटाना सुनते ही दिमाग में वही पुरानी बातें घूमने लगती हैं — "रोटी मत खा, चावल छोड़ दे," "सुबह 5 बजे उठ के रनिंग कर," "बस सलाद खा, बाकी सब पाप है" पर यार, सच बताऊँ? ये सब बातें जितनी बार सुन चुके हो न, उसका आधा भी काम नहीं करती अगर दिल से करने का मन न हो। और आँकड़े बोलते हैं — 95% लोग जो डाइट पर वजन घटाते हैं, कुछ सालों में फिर से वही वजन वापस पा लेते हैं। सोच के ही मन उखड़ जाता है न? अब सुन, मेरे मोहल्ले का एक भाई है — ना जिम जाता, ना डाइट का नाम लेता, फिर भी पिछले 5 महीने में 10-12 किलो कम कर दिया। और वो भी बिना खाना छोड़े। कैसे? चल बता देता हूँ, सुन: उसने खाना बंद नहीं किया, बस घर का ढंग का खाना खाना शुरू किया। वो जो दादी माँ वाले खाने होते हैं न – दाल, चपाती, सब्ज़ी – वही सब। भूख लगे तभी खाया। टाइम पास या बोरियत में चिप्स वाला हाथ हटाया। खाना धीरे-धीरे चबाकर खाया, ताकि पेट को टाइम मिले समझने का कि 'बस भाई, हो गया।' हफ़्ते में दो-तीन दिन पैदल टहल लिया, फोन पर बात करते हुए, दुकान जाते हुए — कोई एक्स्ट्रा मेहनत नहीं। ...